सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह आईजी नॉर्थ बंगाल वार्षिक निरीक्षण के लिए डीआईजी हेड क्वार्टर पहुंचे थे। वे वहां पर दो दिन तक रहे । सूत्र ने बताया कि कुछ साल पहले भी एक आईपीएस, क्वार्टर गार्ड पर जॉगिंग सूट में पहुंच गए थे और सैल्यूट भी लिया था।
सीमा सुरक्षा बल ‘बीएसएफ’ में नॉर्थ बंगाल फ्रंटियर के एक आईपीएस आईजी, जब डीआईजी हेडक्वार्टर का निरीक्षण करने पहुंचे तो कई प्रोटोकॉल टूट गए। चूंकि केंद्रीय अर्धसैनिक बल की नींव अनुशासन पर टिकी होती है, इसलिए बीएसएफ के अनेक कैडर अधिकारियों को आईजी का यह व्यवहार रास नहीं आया।
सूत्रों का कहना है कि आईजी साहब, कुर्ता-पायजामा पहनकर मेस में आ गए, जबकि यहां के लिए बीएसएफ में पहले से ही एक ड्रेस प्रोटोकॉल का नियम है । कई दूसरी रस्म भी जो वर्दी में निभाई जाती हैं, वहां भी आईजी साहब कुर्ता पायजामा में नजर आए। दो दिन रहने के बाद आईजी साहब ने मेस के खाने का बिल भी नहीं चुकाया।
सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह आईजी नॉर्थ बंगाल वार्षिक निरीक्षण के लिए डीआईजी हेड क्वार्टर पहुंचे थे। वे वहां पर दो दिन तक रहे। सूत्र ने बताया कि कुछ साल पहले भी एक आईपीएस, क्वार्टर गार्ड पर जॉगिंग सूट में पहुंच गए और सैल्यूट भी लिया था।
खास बात ये है कि आईजी कार्यालय से डीआईजी हेडक्वार्टर तक पहुंचने में मात्र 15 मिनट लगते हैं। सूत्र बताते हैं कि अब यह मामला दिल्ली तक पहुंच गया है। आईजी को सिलीगुड़ी से दिल्ली तलब कर लिया गया है। नए पोस्टिंग आदेश बाद में जारी होंगे। हालांकि इस मामले में बीएसएफ के जनसंपर्क अधिकारी ने ऐसी किसी घटना की जानकारी से इनकार किया है। तबादले के बारे में पूछने पर कहा कि ये बल का अपना अंदरूनी मामला है।
कैडर अधिकारियों का कहना है कि आईपीएस आईजी की हरकतों से बल का प्रोटोकॉल टूटा है। ऑफिसर मैस के अपने नियम होते हैं, जिनका पालन सभी अधिकारियों और जवानों को करना होता है। वहां पर जूनियर और सीनियर अधिकारी होते हैं।
आईजी के नाम पर दो लंच, दो डिनर और दो ब्रेकफास्ट हैं। जाते समय उन्होंने बिल के बारे में पूछा, लेकिन उसका भुगतान नहीं किया। इस बिल की एडजस्टमेंट के लिए एस्टेब्लिशमेंट को इशारा कर दिया गया। बीएसएफ में शीर्ष पद से रिटायर हुए अधिकारी बताते हैं कि बल में ड्रेस बहुत मायने रखती है।
इंस्पेक्शन के दौरान फॉर्मल ड्रेस चलती है। शर्ट, ट्राउजर, सूट या कॉम्बिनेशन आदि रहता है। मैस चार्ज तो सभी को देना पड़ता है, क्योंकि वह नो प्रॉफिट-नो लॉस पर चलता है। आईजी साहब या कोई दूसरा मेहमान आता है तो उसके लिए सारा सामान बाजार से खरीदना पड़ता है। मेस खर्च तो उसी वक्त अदा करना चाहिए।
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