हरियाणा में बिजली बिलों में अग्रिम खपत जमा राशि वसूलने का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। यह मामला अब भाजपा में भी उठने लगा है। केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णलाल गुर्जर ने भी इस मामले को उठाते हुए उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री मनोहरलाल को पत्र लिखा है।

नई दिल्ली, । हरियाणा बिजली विनियामक आयोग के आदेश पर बिजली बिलों में अग्रिम खपत जमा राशि (एसीडी) लिए जाने का मुद्दा अब भाजपा में भी उठने लगा है। गुर्जर ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से हरियाणा बिजली विनियामक आयोग के आदेश की सीमक्षा करने का आग्रह किया है। गुर्जर का मानना है कि एक साथ चार माह का अतिरिक्त बिजली का बिल दो बार के बिलों में लेने की प्रक्रिया को भी व्यवहारिक बनाना चाहिए।
बता दें, बिजली वितरण निगम ने कोरोना संक्रमण काल से पहले राज्य के औद्योगिक व वाणिज्यिक बिजली कनेक्शन पर हरियाणा बिजली विनियामक आयोग के आदेश को लागू किया था। इसमें आयोग का निर्देश था कि प्रत्येक उपभोक्ता से साल भर के बिजली बिलों की राशि के औसत से चार माह का बिजली बिल बतौर अग्रिम खपत राशि के रूप में जमा कराया जाए। इसके पीछे आयोग का तर्क है कि कुछ उपभोक्ता बिजली का बिल भरे बिना ही चले जाते हैं। इससे निगम को नुकसान होता है क्योंकि निगम दो माह बिजली उपभोग करने के बाद बिल उपभोक्ता को देती है।
आयोग का तर्क यह भी है कि अग्रिम खपत राशि वैसे तो सुरक्षा राशि है जिसे उपभोक्ता को वापस किया जाना है मगर यह असल में दो ही माह की अग्रिम राशि है क्योंकि दो माह की बिजली तो उपभोक्ता उपयोग करता ही है। इसके विपरीत उपभोक्ताओं की तरफ से हो रहे विरोध में कहा जा रहा है कि एक साथ चार माह के बिजली के बिल के बराबर राशि उपभोक्ता कहां से लाएंगे।
खासतौर पर अप्रैल माह तो सभी उपभोक्ताओं पर बच्चों के स्कूल एडमिशन के चलते अतिरिक्त बोझ वाला होता है। इसके अलावा जो उपभोक्ता चोरी करते हैं और बिल नहीं भरते उनके कनेक्शन देने की प्रक्रिया को जटिल किया जा सकता है। कांग्रेस राज्य भर में उपभोक्ताओं के इस मुद्दे को लेकर जिला स्तर पर विरोध भी कर चुकी है। गुर्जर द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सीधे तौर पर बिजली विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास से रिपोर्ट मांगी है। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह में इस मुद्दे पर सरकार की तरफ से उपभोक्ताओं को राहत दी जा सकती है। इसमें उपभोक्ताओं से एसीडी किस्तों में भी ली जा सकती है
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