आगामी लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नाम का प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर प्रस्ताव को लेकर उभरे मतभेद के बावजूद डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन अपने बयान पर कायम हैं.
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जब विपक्षी दल केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ एक संगठित नेतृत्व की कवायद में जुटे हैं, ऐसे में द्रविड़ मुनेत्र कणगम (डीएमके) प्रमुख एमके स्टालिन ने अगले प्रधानमंत्री के तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नाम की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था. अपने इस बयान पर स्टालिन अभी भी कायम है और उन्होंने कहा है कि कुछ राज्यों के नेता उनके नाम के प्रस्ताव पर अपने राज्यों में चर्चा के बाद फैसला करेंगे.
द्रविड़ मुनेत्र कणगम (डीएमके) प्रमुख एमके स्टालिम मे एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि कुछ लोगों ने पूछा कि क्या मैं प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए राहुल गांधी के नाम का प्रस्ताव कर सकता हूं. इसमें गलत क्या है? उन्होंने कहा अगर हम (राहुल गांधी के नाम का) प्रस्ताव नहीं देंगे तो कौन देगा ? क्या कोई इससे इंकार कर सकता है ? कुछ राज्यों के नेता अपने-अपने राज्यों में मतभेद दूर करने के बाद इस पर फैसला करने की सोच रहे हैं.
दरअसल स्टालिन ने 16 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प लेते हुए केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को हराने के लिए उनकी काबिलियत की तारीफ की थी. उन्होंने कहा था कि 2018 में, थलाईवर कलैंगनार की प्रतिमा के अनावरण के मौके पर मैं प्रस्ताव देता हूं कि हम दिल्ली में नया प्रधानमंत्री बनाएंगे. हम नया भारत बनाएंगे. थलाईवर कलैंगनार के पुत्र के नाते मैं तमिलनाडु की ओर से राहुल गांधी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित करता हूं.
स्टालिन के इस प्रस्ताव पर महागठबंधन के अहम घटक दलों के नेताओं के सुर बदल गए थें. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी समेत समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्टालिन के इस बयान को खारिज करते हुए आम चुनाव से पहले राहुल गांधी की उम्मीदवारी को नकार दिया था.
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