यूएन के इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जलवायु परिवर्तन के जिन खतरों के भविष्य में
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने दावा किया है कि धरती का तापमान अनुमान से कहीं ज्यादा तेजी के साथ बढ़ रहा है। यूएन के अनुसार, इसके लिए साफतौर पर मानव जिम्मेदार है। इसे मानवता के लिए ‘कोड रेड’ करार दिया गया है। यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में अगले कुछ दशकों के दौरान प्रचंड लू, तेज बारिश और भयंकर चक्रवाती तूफान आने की आशंका है। इसके अलावा, भारत में सूखे के हालात भी भी बन सकते है। 195 देशों के 234 वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई 3000 पन्नों की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय उपमहाद्वीप में 1850 से 1900 के बीच के मुकाबले औसत तापमान में पहले ही उम्मीद से ज्यादा बढ़ोतरी हो चुकी है।भीषण गर्मियों का समय बढ़ा है और तेज सर्दी का वक्त कम हुआ है। आने वाले वक्त में भी यही ट्रेंड जारी रहेगा। भारत में बारिश होने के पैटर्न में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। दक्षिण और दक्षिण पूर्वी एशियाई मॉनसून बीसवीं सदी के दूसरे हिस्से में पहले ही कमजोर हो चुका है और इसकी वजह है इंसानी गतिविधियों के कारण वायु प्रदूषण हो रहा है । हिंद महासागर का जल स्तर बाकी दुनिया के मुकाबले कहीं तेजी से बढ़ा है, जिससे तटीय इलाकों को नुकसान हो रहा है।
- UN रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुकुश की पहाड़ियों में मौजूद ग्लेशियरों के सिकुड़ने का सिलसिला जारी रहेगा। बर्फ की मौजूदगी और ऊंचाई सीमित होती जाएगी। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इलाके में भारी बारिश से बाढ़, भूस्खलन के साथ झीलों से अचानक पानी का बहाव होने की आशंका बढ़ेगी।
इस इलाके में तियेन शान, कुन लुन, पामीर, हिंदू कुश, काराकोरम, हिमालय और हेंगडुआन और तिब्बत के ऊंचे पठार आते हैं। यहां के पानी से सीधे तौर पर 12 करोड़ की आबादी सिंचाई के लिए निर्भर है। परोक्ष रूप से भारत, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान की 130 करोड़ आबादी नदी बेसिन पर निर्भर है। - भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान में वैज्ञानिक स्वपना पणिकल ने PTI से बातचीत में कहा कि उत्सर्जन को कम करके अब ग्लेशियरों को कम होने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि वह बहुत धीमी प्रक्रिया है। पणिकल ने कहा, “मौसम प्रणाली में ग्लेशियर सबसे धीमी प्रतिक्रिया करने वाले हिस्से हैं। इसलिए अब तापमान की मौजूदा दर से ग्लेशियरों को कम होने से रोकने की उम्मीद नहीं कर सकते। अगर हम उत्सर्जन को रोक भी दें और वैश्विक तापमान में वृद्धि डेढ़ डिग्री तक सीमित भी कर दें तो भी हम ग्लेशियर को और कम होते देखेंगे।”
- IPCC की नई रिपोर्ट कहती है कि हिंद महासागर, दूसरे महासागर की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है। साइंटिस्ट्स ने चेताया है कि जलवायु परिवर्तन के चलते भारत को लू और बाढ़ के खतरों का सामना करना पड़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार, समुद्र के गर्म होने से जलस्तर बढ़ेगा जिससे तटीय क्षेत्रों और निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा भी बढ़ेगा।
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) में वैज्ञानिक और रिपोर्ट की लेखिका स्वप्ना पनिक्कल ने कहा, “हिंद महासागर क्षेत्र तेजी से गर्म हो रहा है। इसका मतलब है कि समुद्र के स्तर में भी तेजी से इजाफा होगा। इसलिए, तटीय क्षेत्रों में 21वीं सदी के दौरान समुद्र के स्तर में बढ़त देखी जाएगी। निचले क्षेत्रों और तटीय इलाकों में बाढ़ और भूमि का कटाव बढ़ेगा। इसके साथ, समुद्र के स्तर की चरम घटनाएं जो पहले 100 वर्षों में एक बार होती थीं, इस सदी के अंत तक हर साल हो सकती हैं।’’

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